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लव स्टोरी: "गाँव की खुशबू, शहर का सपना" || Love story in hindi

    लव स्टोरी: "गाँव की खुशबू, शहर का सपना" अध्याय 1 : गाँव की सुबह, सपनों का लड़का गाँव की सुबह का दृश्य हमेशा मन को सुकून देता है। सूरज की पहली किरण जैसे ही खेतों की हरियाली पर पड़ती है, ओस की बूंदें मोती की तरह चमक उठती हैं। दूर कहीं बैलों की घंटियों की आवाज़ गूँजती है और पेड़ों पर बैठी चिड़ियाँ चहकने लगती हैं। इसी गाँव में रहता था अर्जुन। बीस-बाईस साल का युवक, सांवला रंग, मेहनत से चमकता हुआ शरीर और आँखों में कुछ अधूरे सपनों की चमक। अर्जुन खेतों में अपने पिता के साथ काम करता, लेकिन उसके दिल में हमेशा यह कसक रहती कि काश उसे भी पढ़ने और आगे बढ़ने का मौका मिलता। उसकी माँ अक्सर कहती — “बेटा, तू तो बहुत समझदार है, काश हालात अलग होते तो तू भी अफसर बन जाता।” अर्जुन बस मुस्कुरा देता। लेकिन भीतर कहीं यह बात उसे कचोटती थी। --- अध्याय 2 : नई अध्यापिका का आगमन गाँव के सरकारी स्कूल में उस दिन हलचल थी। खबर फैली थी कि शहर से एक नई अध्यापिका आई हैं। बच्चे उत्सुक थे, और गाँव के लोग भी यह देखने को उत्सुक थे कि आखिर कौन है जो शहर छोड़कर इस छोटे से गाँव में पढ़ाने आई है। वह थीं — अनामिका। करी...
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अर्जुन और संध्या का सच्चा प्यार || Love story in hindi

  Chapter 1 : पहली मुलाक़ात गाँव की वो सुबह हमेशा की तरह शांत थी। खेतों से आती ठंडी हवा, आम के पेड़ों पर चहकती चिड़ियाँ, और दूर से बैलों की घंटियों की आवाज़। इसी गाँव में रहता था अर्जुन — एक सीधा-सादा लड़का, जिसकी आँखों में सपने तो बड़े थे लेकिन हालात ने उसे खेतों तक बाँध रखा था। अर्जुन का दिल साफ़ था। मेहनती, लेकिन थोड़ा संकोची। ज़्यादातर दिन खेतों में या दोस्तों के साथ चौपाल पर गुज़र जाते। गाँव की गलियों में सब उसे जानते थे — "अर्जुन, मास्टरजी का बेटा"। लेकिन उस सुबह कुछ अलग था… गाँव में शहर से कोई मेहमान आया था। रामलाल चाचा की बहन का परिवार दिल्ली से आया था। उनके साथ आई थी उनकी बेटी संध्या। संध्या, बिल्कुल अलग दुनिया से आई लड़की। उसकी चाल, उसका पहनावा, और उसकी बातें — सब कुछ अर्जुन के लिए नया था। वो कॉलेज में पढ़ती थी, अंग्रेज़ी में धाराप्रवाह बोलती थी और सपनों में आईएएस बनने की चाह रखती थी। पहली बार जब अर्जुन ने उसे देखा, वो तालाब के किनारे खड़ी थी। हाथ में किताब और चेहरे पर हल्की मुस्कान। हवा से उड़ते बालों को सँभालने की उसकी आदत अर्जुन के दिल पर गहरी छाप छोड़ गई। अर्जुन...

Love Story :- भूत से हुआ लड़की को प्रेम

अनजानी मुलाकात शहर के भागदौड़ भरे जीवन से दूर, हिमालय की तलहटी में बसा एक गांव था ", जहाँ हर सुबह सूर्य देव की किरणें बर्फीली सफेद चोटियों को चूमती थीं। वहीँ एक पुरानी हवेली में रहने आई थी मौसम, मौसम एक लेखिका थी, जो अपने नए उपन्यास के लिए सुकून की तलाश में थी।   मौसम का मन बार-बार एक ही सपने में उलझ जाता—एक रहस्यमयी युवक जो धुंध में खड़ा उसकी ओर देखता रहता था, मगर पास नहीं आता और ना कुछ बोलता।   गाँव वालो का मानना था की यह हवेली शापित" है। कहते हैं, सालों पहले वहाँ एक प्रेम कहानी अधूरी रह गई थी।   पहली मुलाकात - विवान का परिचय* *   एक शाम जब मौसम हवेली के पास बने पुराने बगीचे में टहल रही थी, अचानक उसके सामने एक युवक प्रकट हुआ। सफेद कुर्ते में, हल्की दाढ़ी, गहरी आंखें—मानो आंखों में कोई पहाड़ों की गहराई हो।   "यह बगीचा अब भी वैसा ही है," उसने मुस्कराते हुए कहा।   "क्या आप यहाँ रहते हैं?" मौसम ने पूछा।   "पहले रहा करता था," कहकर वो मुस्करा दिया।   उसका नाम था विवान। लेकिन गाँव वाले उसे जानते नहीं थे। ...

Love Story :- कुसुम और विवेक का अधूरा प्रेम

  प्रेम की खामोशी   पहाड़ों के बीच एक छोटा-सा गाँव था  गाँव का नाम बिलासपुर था। वहाँ की संकरी संकरी गलियाँ, मिट्टी से बने कच्चे मकान, छोटे छोटे मोड़ और हर मोड़ पर बसी हुई कहानिया ! उन्हीं में एक कहानी थी विवेक और कुसुम की। विवेक, एक शांत स्वभाव का लड़का था, जो किताबों और पहाड़ों से प्यार करता था। उसका मानना था कि कुछ कहानियाँ शब्दों में नहीं, ख़ामोशियों में बसी होती हैं। वहीं, कुसुम स्वभाव से थोड़ी नदी की लहरों जैसी चंचल थी, जो हर बात को खुलकर कहने में यकीन रखती थी। वो गाँव की सबसे सुंदर लड़की थी, जिसकी हँसी में एक ओनोखा जादू था। मुलाकात की चाहत   गर्मियों की एक शाम, जब सूर्य देव पर्वतों के पीछे छिप रहा था, कुसुम अपने खेतों में पानी देने गई थी। वहीं पास में एक बड़ा सा बरगद का पेड़ था, जिसकी छाँव में बैठा विवेक कोई पुरानी किताब पढ़ रहा था। हवा में एक पत्ता उड़ा और जाकर उसकी किताब के बीच अटक गया। विवेक ने जब पत्ता हटाया, तो देखा कि कुसुम उसे एक टक निहार रही थी। "क्या देख रही हो?" विवेक ने हल्की मुस्कान के साथ पूछा।   "तुम्हारी किताब को, और तुम्हें भी," कुसुम ...

गरीब महिला की मेहनत आखिर सफल हुई

 एक गाँव में मालती नाम की एक बूढ़ी औरत अपने बेटे विक्रम के साथ रहती थी। मालती के पति की मृत्यु हो गई थी मालती लोगो के घर-घर जाकर कपड़े धोने और भोजन बनाने का काम करके अपना गुजारा करती थी । विक्रम पढ़ाई में होशियार था और अपनी माँ के साथ काम पर जाते समय अखबार पढ़ता था। एक दिन, एक महिला ने विक्रम का मजाक उड़ाते हुए कहा कि अखबार पढ़ने से वह बड़ा अफसर नहीं बन जाएगा। विक्रम ने उत्तर दिया कि वह बड़ा अफसर बनना चाहता है और अखबार से जानकारी प्राप्त कर रहा है। यह सुनकर मालती अपने बेटे को लेकर घर चली गई। मालती ने शादियों में रोटी बनाने का काम शुरू किया। वह सुबह 3 बजे उठकर रोटियाँ बनाती, और विक्रम भी उसकी मदद करता और फिर पढ़ाई में लग जाता। एक दिन मकान मालिक ने बिजली के बिल को लेकर मालती को धमकाया और उनकी बिजली काट दी । इसके बाद, विक्रम ने लालटेन की रोशनी में पढ़ाई जारी रखी। उसकी लगन देखकर उसके अध्यापक ने उसे मुंबई जाकर पढ़ाई करने की सलाह दी और खुद खर्चा उठाने की जिम्मेदारी ली। दिल्ली में, परीक्षा के दिन विक्रम को एक दुर्घटना का सामना करना पड़ा, जिससे उसके सिर और बाएँ हाथ में चोट लगी। फिर भी, उसन...