Love Story :- भूत से हुआ लड़की को प्रेम

Love Story


अनजानी मुलाकात


शहर के भागदौड़ भरे जीवन से दूर, हिमालय की तलहटी में बसा एक गांव था ", जहाँ हर सुबह सूर्य देव की किरणें बर्फीली सफेद चोटियों को चूमती थीं। वहीँ एक पुरानी हवेली में रहने आई थी मौसम, मौसम एक लेखिका थी, जो अपने नए उपन्यास के लिए सुकून की तलाश में थी।  


मौसम का मन बार-बार एक ही सपने में उलझ जाता—एक रहस्यमयी युवक जो धुंध में खड़ा उसकी ओर देखता रहता था, मगर पास नहीं आता और ना कुछ बोलता।  


गाँव वालो का मानना था की यह हवेली शापित" है। कहते हैं, सालों पहले वहाँ एक प्रेम कहानी अधूरी रह गई थी।  


पहली मुलाकात - विवान का परिचय**  


एक शाम जब मौसम हवेली के पास बने पुराने बगीचे में टहल रही थी, अचानक उसके सामने एक युवक प्रकट हुआ। सफेद कुर्ते में, हल्की दाढ़ी, गहरी आंखें—मानो आंखों में कोई पहाड़ों की गहराई हो।  


"यह बगीचा अब भी वैसा ही है," उसने मुस्कराते हुए कहा।  


"क्या आप यहाँ रहते हैं?" मौसम ने पूछा।  


"पहले रहा करता था," कहकर वो मुस्करा दिया।  


उसका नाम था विवान। लेकिन गाँव वाले उसे जानते नहीं थे।  


 रहस्य गहराता है**  


हर शाम विवान मिलने आता। मौसम के साथ घंटों बातें करता, मगर जैसे ही रात गहराती, वो अचानक गायब हो जाता।  


धीरे-धीरे मौसम को विवान से प्रेम होने लगा, पर उसकी आँखों में बसी उदासी उसे बेचैन कर देती।  


गाँव के बुजुर्ग ने एक दिन मौसम से कहा,  

"उस हवेली में कभी विवान और सुमन की प्रेम कहानी थी, जो अधूरी रह गई। सुमन की मौत के बाद विवान भी पहाड़ से गिर गया। लोग कहते हैं, उसकी आत्मा अब भी हवेली में भटकती है और सुमन को तलाश करती रहती है।"  


 प्रेम की गहराई और सच का सामना


मौसम ने जब विवान से इस बात की चर्चा की और सच पूछा तो,  विवान की आँखों में आंसू आ गए। विवान ने मौसम को सच बता दिया कि हा में वहीं हु ओर में सच में आत्मा हु मगर में तुम्हे देख सकता हूं तुम्हे महसूस कर सकता हूं  शायद मेरी अधूरी प्रेम कहानी को पूरी करने का समय आ गया है 

  

  


तभी मौसम ने अपने हाथ विवान के हाथ पर रखे, और हाथ हवा में से निकल गया।  


 प्रेम और मोक्ष की यात्रा


अब मौसम और विवान के प्रेम की दास्तां शुरू हुई।  

एक इंसान और एक आत्मा की।  

मौसम ने ठान लिया कि वो विवान को मुक्ति दिलाकर ही रहेगी।  


वो गाँव की पुरानी डायरी, पुरानी प्रेम पत्र, सब ढूँढने लगी।  

विवान की कहानी को दुनिया के सामने लाने का निश्चय किया।  


प्रेम का पुनर्जन्म


कहते हैं, जब सच्चा प्रेम अधूरा रह जाता है, तो आत्मा भी चैन नहीं पाती।  


मौसम ने उपन्यास लिखा—"रूह की परछाई"।  

लोगों ने पढ़ा, समझा, और विवान और सुमन की अधूरी प्रेम कहानी को सम्मान दिया।  


कहानी छपने के बाद, हवेली में फिर एक बार गुलाब खिले।  

और उस रात, जब मौसम बगीचे में बैठी थी, विवान ने कहा,  

"अब मेरा वक्त आ गया। मगर वादा करो, अगली ज़िंदगी में मुझे पहचान लोगी?"  


मौसम की आंखें नम थीं।  

"ज़रूर।"  


विवान की आत्मा हवा में घुल गई।  

पर उसकी मुस्कान अब भी हवेली की हवाओं में थी।  


 नई शुरुआत


कुछ साल बाद, मौसम एक बार फिर वहीँ आई। और तभी एक नन्हा बच्चा पास आकर बोला,  

"तुम्हें पहचाना।"  


उसकी आंखें वही विवान की गहराई लिए हुए थीं।  

आहना मुस्कराई।  

"मैंने भी।"  


और यूं, प्रेम ने पुनर्जन्म लिया।  


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